जोशीमठ जैसा न हो जाए मसूरी का हाल अभी भी नहीं संभले तो आंखों के सामने देखेंगे तबाही
प्रदेश में पर्यटन से राज्य सरकार को राजस्व तो मिल रहा है, लेकिन इसकी बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ रही है। जोशीमठ का हाल हम देख ही रहे हैं।पूरा शहर भूधंसाव की चपेट में है। पहाड़ों की रानी मसूरी का भी ऐसा ही हाल न हो, इसे देखते हुए एनजीटी ने यहां पर्यटकों की संख्या कंट्रोल करने की सिफारिश की है। जोशीमठ में भूधंसाव की घटना के बाद एनजीटी ने मसूरी के हालात जानने के लिए एक समिति बनाई थी। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। मसूरी की वहन क्षमता के अध्ययन के बाद समिति ने सरकार से कहा कि मसूरी को बचाने के लिए यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या को कंट्रोल करने की जरूरत है।
दरअसल साल की शुरुआत में मीडिया में छपी एक खबर में जोशीमठ की घटना को मसूरी के लिए चेतावनी बताया गया था। एनजीटी ने मामले का संज्ञान लिया और शहर की वहन क्षमता के अध्ययन के लिए एक पैनल बनाया। पैनल ने सर्वे के बाद अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।रिपोर्ट में कहा गया कि क्षेत्र की वहन क्षमता, खासकर पार्किंग और गेस्ट हाउस की उपलब्धता को ध्यान में रखकर पर्यटकों का रजिस्ट्रेशन किया जाना चाहिए। जो लोग मसूरी घूमने आते हैं, उनसे शुल्क लेकर इस धन का इस्तेमाल कूड़े और सफाई के प्रबंधन के लिए किया जाना चाहिए। मसूरी भूकंप की दृष्टि से जोन-4 में है।
इसलिए भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में पहाड़ों के नीचे से बोल्डर न हटाने और ढलानों पर दिखने वाली दरारों को भरने का सुझाव भी रिपोर्ट में दिया गया है। सुरंग तथा होटल और अस्पताल जैसे अन्य बड़े निर्माण की अनुमति दिए जाने से पहले विस्तृत इंजीनियरिंग, भूवैज्ञानिक और भू-तकनीकी जांच की जानी चाहिए। रिपोर्ट में मौजूदा इमारतों की जांच और संरचनाओं की रिट्रोफिटिंग को मजबूत करने की सिफारिश भी की गई है। एनजीटी ने कहा कि पर्यटकों की भारी संख्या, अनियमित निर्माण, ज्यादा कूड़ा निकलना, पानी की कमी, स्वच्छता और सीवेज समस्याएं ट्रैफिक जाम और वाहन प्रदूषण जैसे मुद्दों को और बढ़ा देती हैं।