बसपा ने सभी को चौकाया बसपाई घर बैठेंगे या फिर दबाएंगे नोटा किसी का भी बिगड़ सकता है समीकरण
घोसी उपचुनाव में मतदान से पहले बसपा ने बड़ा सियासी दांव चल दिया है। बसपाई या तो घर बैठेंगे और यदि बूथ तक जाएंगे तो नोटा दबाएंगे। बसपा के इस निर्णय से घोसी के सियासी रण में हंगामे जैसी स्थिति है क्योंकि यहां 90 हजार से ज्यादा दलित वोटर हैं जो किसी भी चुनाव के परिणाम को प्रभावित करने का माद्दा रखते हैं।
घोसी विधानसभा के उपचुनाव का प्रचार रविवार को समाप्त हो गया। पांच सितंबर को वोट डाले जाएंगे। इधर भाजपा और सपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गया है। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने सपा पर तो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा पर हमला बोला है।
उधर उपचुनाव में मतदान से पहले बसपा ने बड़ा सियासी दांव चल दिया है। बसपाई या तो घर बैठेंगे और यदि बूथ तक जाएंगे तो नोटा दबाएंगे। बसपा के इस निर्णय से घोसी के सियासी रण में हंगामे जैसी स्थिति है क्योंकि यहां 90 हजार से ज्यादा दलित वोटर हैं जो किसी भी चुनाव के परिणाम को प्रभावित करने का माद्दा रखते हैं।
पिछले चुनावों में भी बसपा उम्मीदवार को यहां अच्छे खासे वोट मिलते रहे हैं। मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट पर हो रहे उप चुनाव का प्रचार बंद हो गया है। पांच सितंबर को यहां मतदान होगा। इस चुनाव को सियासी नजरिए से बेहद अहम माना जा रहा है। इसके दो मुख्य कारण हैं।
एक, दारा सिंह चौहान सपा छोड़कर फिर से भाजपा के साथ आ गए हैं और यहां के चुनावी रण में ताल ठोक रहे हैं। दूसरा, लोकसभा चुनाव-2024 से पहले हो रहे इस चुनाव को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) बनाम ”इंडिया” (आई.एन.डी.आई.ए) के रूप में देखा जा रहा है।
चूंकि सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह को कांग्रेस, रालोद का भी यहां समर्थन मिला है तो इससे लड़ाई आमने सामने की हो गई है। दोनों ही गठबंधन इस बात को भली भांति जानते हैं कि इस चुनाव को जो जीतेगा उसे इसका बड़ा मनोवैज्ञानिक लाभ मिलेगा।
बसपा ने इस चुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है। बसपा प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल कहते हैं कि पहले विधायकों को तोड़ने के लिए दल बदल कानून लाया गया। इससे दल बदल पर अंकुश लगा पर अब नई परिपाटी शुरू हो गई कि किसी सदस्य को इस्तीफा दिलाकर अपनी पार्टी में शामिल कर लो और फिर चुनाव लड़ा दो। इसका भार जनता पर जाता है। ऐसे चुनाव का हम बहिष्कार करते हैं। हमारे लोग चुनाव का बहिष्कार करेंगे। जो लोग जाएंगे भी तो वे नोटा दबाएंगे।