मंगलौर में खिसकी बसपा की जमीन लगाई थी जीत की हैट्रिक कोई भी ट्रिक नही आई काम
उपचुनाव में अपने दिवंगत विधायक सरवत करीम अंसारी की सहानुभूति भी हाथी को मंजिल तक नहीं पहुंचा पाई।22002 से 2012 तक मंगलौर विधानसभा में जीत की हैट्रिक लगाने वाली बसपा की जमीन अब खिसक रही है। लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा उपचुनाव, बसपा को एक सिरे से मतदाताओं ने दरकिनार कर दिया है।
मुस्लिम-दलित समीकरण के नजरिए से मंगलौर विधानसभा सीट बसपा के लिए बहुत मुफीद रही है। अब तक यहां हुए पांच विधानसभा चुनावों में से चार बार बसपा ने जीत दर्ज की है। एक बार कांग्रेस ने। पहली बार यहां उपचुनाव हुआ, जिसमें कांग्रेस ने बाजी मारी है।
2002 और 2007 में यहां बसपा से काजी निजामुद्दीन जीते। 2012 में बसपा से चुनाव लड़े सरवत करीम अंसारी ने पार्टी की जीत की हैट्रिक बना दी। लेकिन 2017 में कांग्रेस के काजी निजामुद्दीन ने बसपा के सरवत करीम को 2668 वोटों से हरा दिया।
2022 में फिर बसपा के सरवत करीम अंसारी ने कांग्रेस के काजी को 598 वोटों से मात दी। इस बार लोकसभा चुनाव से बसपा की जमीन खिसकनी शुरू हुई। लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी वीरेंद्र रावत को 44101 वोट मिले जबकि भाजपा के त्रिवेंद्र रावत 21100 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे।
बसपा के जमील अहमद यहां 5507 वोटों पर आ गए। अपने विधायक की मृत्यु पर सहानुभूति के मद्देनजर बसपा ने उपचुनाव में उनके बेटे उबेदुर्रहमान को मैदान में उतारा, इसके बावजूद बसपा तीसरे स्थान पर रही।
उपचुनाव में कांग्रेस के काजी को यहां 31727, भाजपा के भड़ाना को 31305 और बसपा के उबेदुर्रहमान को 19559 वोट मिले। लोकसभा और अब विस उपचुनाव के नतीजों का विश्लेषण करें तो बसपा का वोटबैंक तेजी से खिसका है, जबकि कांग्रेस और भाजपा का वोटबैंक बढ़ता जा रहा है।