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जब एयरपोर्ट बनाने के लिए हटाने जा रहे थे नागराजा मंदिर सांप ने नहीं चलने दी थी जेसीबी

2006-07 में एयरपोर्ट के लिए हटाया नागराजा का मंदिर गया था। इस दौरान जो हुआ उसे प्रत्यक्षदर्शी आज तक नहीं भूल पाए हैं। देहरादून एयरपोर्ट के पहले विस्तारीकरण (2006-07) के लिए अधिग्रहित की गई जमीन से कई मकानों और दूसरे निर्माणों को तोड़ा गया था। इसमें एक मकान ऐसा भी था, जिसके पास नागराजा का एक काफी पुराना मंदिर था। प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो मंदिर को हटाने के लिए पहुंची जेसीबी के सामने फन उठाकर एक विशालकाय सांप आ गया। इसकी वजह से मंदिर को हटाने की प्रक्रिया को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया गया।

अधिग्रहित की गई जमीन में धाम सिंह पंवार का मकान भी जद में आ गया था। जिसके पास उनका एक काफी पुराना नागराजा का मंदिर भी था। जमीन से जंगल, पेड़, मकान और अन्य निर्माण हटा दिए गए थे। लेकिन मंदिर को नही हटाया गया था। एक दिन तत्कालीन अधिकारियों ने एयरपोर्ट के बीच में आ रहे मंदिर को हटाने के आदेश दिए। मंदिर को हटाने के लिए पहुंचीं जेसीबी के सामने फन उठाकर एक सांप आ गया। अगले दिन अधिकारी मौके पर पहुंचे तो सांप फिर आगे आ गया। जिस कारण मंदिर हटाने का कार्य रोक दिया गया। जौलीग्रांट क्षेत्र में आज भी इस घटना की चर्चा होती है।

प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि उसके बाद संबंधित कंपनी के अधिकारियों ने आसपास के कई पंडितों से मंदिर हटाने के लिए संपर्क किया। लेकिन पंडितों ने हाथ खड़े कर दिए। उसके बाद कंपनी के अधिकारी कोठारी मोहल्ले के पंडित रोशनलाल कोठियाल के पास पहुंचे, जो वर्तमान में मोहल्ले के शिव शक्ति मंदिर के अध्यक्ष हैं। पंडित रोशनलाल ने पहले स्पष्ट कर दिया कि मंदिर नहीं हटना चाहिए। लेकिन यह भी जोड़ा कि यदि मंदिर हटना जरूरी है तो उनकी सभी बातों को अधिकारियों को मानना पड़ेगा। उसके बाद पंडित रोशनलाल सहित कुल पांच पंडितों ने नागराजा मंदिर के चारों तरफ बैठकर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ और पूर्णाहुति का पाठ आदि कर मंदिर को हटवाया।

शिव शक्ति मंदिर समिति के अध्यक्ष पंडित रोशनलाल कहते हैं कि मुझे आज भी याद है उन्होंने अन्य चार पंडितों के साथ नागराजा मंदिर के पास यज्ञ और पूर्णाहुति का पाठ किया था। तब जौलीग्रांट की हवाई पट्टी विषैले सांपों और बिच्छुओं का घर हुआ करती थी। पूजा करते हुए उनके मन में डर भी था। लेकिन मंत्रों और यज्ञ के बाद मंदिर के सभी सामान यहां तक की ईंटों को भी गंगाजी में प्रवाहित किया गया। मंत्रोच्चारण, यज्ञ और पूर्णाहुति के बाद वहां सांप की बिलों में दूध डाला गया। जिसके बाद उस जमीन पर एयरपोर्ट बनाया गया।

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