स्वच्छता अभियन को ठेंगा दिखाता आनेकी स्कूल, शौचालयो से लेकर पढ़ाई तक व्यवस्था तीतर बितर।
आपको बताते चले कि ग्राम आनेकी प्राइमरी-1 स्कूल की व्यवस्था तीतर बितर प्रधानाध्यापिका को लेकर ग्रामीणों में भारी रोष ग्रामीणों का आरोप है कि स्कूल की प्रधानाध्यापिका को न तो बच्चो की पढ़ाई ओर न नही बच्चो के स्वास्थ्य से कोई मतलब उन्हे तो केवल ओर केवल स्कूल में आकर अपना टाइम पूरा कर वापस लोट जाने तक ही मतलब है ग्रामीणों का सीधा-सिधा आरोप है कि जब तक यह प्रधानाध्यापिका इस स्कूल में रहेगी तब तक यहां के बच्चो की न तो पढ़ाई ही यही हो पायेगी ओर न ही व्यवस्थाये दुरुस्त हो पाएंगी आपको बताते चलें कि जिन शौचालय को सरकार ने बच्चों के सोच के लिए बनवाया था उन शौचालय पर ताले जड़े हुए हैं और जो शौचालय पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं उन शौचालय में बच्चों को सोच के लिए भेजा जाता है
वहां सोच करना तो बड़ी दूर की बात वहां खड़ा हो पाना ही मुश्किल है ओर स्कूल में बनने वाले मिड-डे मील के खाने को तैयार करने के लिए जहां खाना पकाने के लिए कुक की व्यवस्था की जाती है उन व्यवस्थाओं में बच्चो को ही स्कूल के नाल्को से पानी भरते देखा जाता हैं और इतना ही नहीं शौचालय के बाद हाथ दोने के लिये जिस पानी की टोटी का इस्तेमाल किया जाता है वह अपने स्थान से ही गयाब है इतना ही नही अगर स्कूल की इमारत पर नजर डाले तो इमारत भी जर्जर होकर गिरने को तैयार है जबकि सरकार बच्चों की पढ़ाई के लिए हर संभव प्रयास कर रही है
लेकिन आनेकी प्राईमरी-1 स्कूल में उसके विपरीत है जहां के ग्रामीणों का सीधा-सीधा आरोप प्रधानाध्यापिका रितु चौहान पर लगाया गया है उनका कहना है कि प्रधानाध्यापिका बदलो बस प्रधानाध्यापिका बदलो तो हमारे बच्चे पढ़ाई कर पायंगे ग्रामीण दिनेश कुमार, सतीश चौहान, कविता, मोनिका, मीनू, रमेश कुमार, मगन सिंह, निर्मल पाल, अनूप चौहान आदि।
वही जब हमने प्रधानाध्यापिका से बात करने का प्रयास किया तो उन्होंने अपने पास टाइम ने होने का हवाला देकर बात को टाल दिया की में मीटिंग में जा रही हु ये टॉपिक काफी लंम्बा है इसमें काफी चर्चा करनी पड़ेगी समय लग जायेगा आप दो दिन बाद आइयेगा।