REAP पर CDO का 'युद्धस्तर' प्लान! हरिद्वार के गांवों की बदलेगी तस्वीर?

REAP पर CDO का ‘युद्धस्तर’ प्लान! हरिद्वार के गांवों की बदलेगी तस्वीर?

हरिद्वार: जनपद हरिद्वार के ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के अवसरों को मजबूत करने और सतत विकास सुनिश्चित करने के उद्देश्य से चलाई जा रही महत्वाकांक्षी ग्रामोत्थान (REAP) परियोजना की छमाही समीक्षा बैठक शुक्रवार को विकास भवन, रोशनाबाद सभागार में संपन्न हुई। मुख्य विकास अधिकारी (CDO) डॉ. ललित नारायण मिश्र की अध्यक्षता में हुई इस महत्वपूर्ण बैठक में पिछले छह माह की प्रगति का गहन मूल्यांकन किया गया और आगामी तिमाही के लिए ठोस कार्ययोजना बनाने पर जोर दिया गया। सीडीओ डॉ. मिश्र ने परियोजना के लक्ष्यों को ‘युद्धस्तर’ पर पूरा करने के निर्देश दिए, ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त कर आत्मनिर्भर उत्तराखंड की दिशा में तेजी से आगे बढ़ा जा सके।

 

ग्रामोत्थान (REAP) परियोजना: ग्रामीण विकास का एक प्रभावी मॉडल

उत्तराखंड में ग्रामीण विकास को गति देने और पलायन को रोकने के लिए ग्रामोत्थान (Rural Empowerment and Livelihoods Project – REAP) परियोजना एक महत्वपूर्ण पहल है। यह परियोजना विशेष रूप से उन ग्रामीण क्षेत्रों पर केंद्रित है जहाँ आर्थिक अवसर सीमित हैं और कृषि पर निर्भरता अधिक है। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीणों को सतत आजीविका के विकल्प प्रदान करना, उनकी आय में वृद्धि करना और उन्हें सामाजिक-आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। परियोजना के तहत, स्वयं सहायता समूहों (SHG), किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) और अन्य सामुदायिक संस्थाओं को सहायता प्रदान की जाती है, ताकि वे कृषि, पशुपालन, बागवानी, और गैर-कृषि क्षेत्रों में उद्यम स्थापित कर सकें।

REAP परियोजना विभिन्न सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास, कौशल संवर्धन, बाजार लिंकेज और वित्तीय समावेशन पर भी काम करती है। यह केवल तात्कालिक राहत प्रदान करने वाली परियोजना नहीं है, बल्कि इसका लक्ष्य दीर्घकालिक और स्थायी विकास को बढ़ावा देना है, जिससे ग्रामीण समुदाय आत्मनिर्भर बन सकें और शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन रुके। हरिद्वार जैसे जनपद में, जहाँ ग्रामीण और शहरी आबादी का मिश्रण है, ऐसी परियोजनाएं स्थानीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने और असंतुलित विकास को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

 

सीडीओ डॉ. ललित नारायण मिश्र की अध्यक्षता में गहन समीक्षा और दिशा-निर्देश

बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्य विकास अधिकारी डॉ. ललित नारायण मिश्र ने परियोजना के तहत पिछले छह माह में हुए कार्यों का विस्तृत मूल्यांकन किया। उन्होंने परियोजना की अब तक की प्रगति पर सामान्य संतोष व्यक्त किया, लेकिन साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि कुछ प्रमुख क्षेत्रों में और अधिक तेजी लाने की आवश्यकता है। डॉ. मिश्र ने स्पष्ट किया कि ग्रामोत्थान (REAP) परियोजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सशक्तिकरण और सतत आजीविका के निर्माण के लिए एक अत्यंत प्रभावी माध्यम है, और इसका सफल क्रियान्वयन ग्रामीण जीवन में एक बड़ा सकारात्मक बदलाव ला सकता है।

उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों को आगामी तिमाही के लिए एक ठोस और समयबद्ध कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए। इस कार्ययोजना में स्पष्ट लक्ष्य, जिम्मेदारियां और समय-सीमा निर्धारित की जानी चाहिए ताकि प्रगति को नियमित रूप से मापा जा सके। सीडीओ ने परियोजना से जुड़े सभी स्टाफ को निर्देशित किया कि वे आपसी समन्वय और सक्रियता से काम करें, ताकि निर्धारित लक्ष्यों को समय पर और गुणवत्तापूर्ण तरीके से हासिल किया जा सके। उनकी टिप्पणी ग्रामीण विकास के प्रति प्रशासन की गंभीरता और जवाबदेही को दर्शाती है।

‘शेयर धन’ (Share Capital) और एंटरप्राइजेज: परियोजना की वित्तीय रीढ़

बैठक में दो प्रमुख विषयों—‘शेयर धन’ (Share Capital) एवं एंटरप्राइजेज—की पूर्ति पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया। सीडीओ डॉ. मिश्र ने इन दोनों लक्ष्यों को प्राथमिकता के साथ और ‘युद्धस्तर’ पर पूरा करने का निर्देश दिया। ये दोनों घटक किसी भी ग्रामीण विकास परियोजना की सफलता और स्थिरता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

  • शेयर धन (Share Capital): यह सामुदायिक स्तर पर गठित समूहों, जैसे स्वयं सहायता समूहों (SHGs) या किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) द्वारा जुटाई गई पूंजी होती है। इसका महत्व यह है कि यह सदस्यों के बीच स्वामित्व और सहभागिता की भावना को बढ़ाता है। जब सदस्य स्वयं परियोजना में आर्थिक रूप से निवेश करते हैं, तो वे उसकी सफलता के प्रति अधिक प्रतिबद्ध होते हैं। यह पूंजी समूह को अपनी गतिविधियों को संचालित करने और छोटे पैमाने पर व्यवसाय शुरू करने के लिए शुरुआती वित्त प्रदान करती है, जिससे बाहरी निर्भरता कम होती है।
  • एंटरप्राइजेज (Enterprises): ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे और मध्यम उद्यमों की स्थापना ग्रामोत्थान परियोजना का एक प्रमुख स्तंभ है। ये उद्यम स्थानीय संसाधनों का उपयोग करके मूल्य वर्धन करते हैं और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करते हैं। कृषि-आधारित प्रसंस्करण इकाइयों से लेकर हस्तशिल्प और सेवा प्रदाताओं तक, इन उद्यमों के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है। सीडीओ का इन पर विशेष जोर देना यह दर्शाता है कि परियोजना का लक्ष्य केवल सहायता देना नहीं, बल्कि ग्रामीणों को उद्यमी बनाना है। इन दोनों घटकों की सफल पूर्ति से परियोजना की वित्तीय स्थिरता और सामुदायिक भागीदारी को बल मिलेगा, जो अंततः ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा।

 

बेहतर तालमेल और सामूहिक प्रयासों से आत्मनिर्भरता की राह

समीक्षा बैठक में विभिन्न विभागों और संगठनों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति ने परियोजना के बहु-आयामी स्वरूप को दर्शाया। इसमें सहायक परियोजना निदेशक नलिनीत घिल्डियाल, जिला परियोजना प्रबंधक संजय सक्सेना, एनआरएलएम से डीटीई सूरज रतूड़ी, मुख्यमंत्री उद्यमशाला योजना के प्रतिनिधि, तथा मीठी गंगा एफपीओ के प्रतिनिधि शामिल रहे। इसके अतिरिक्त, सभी विकासखंड स्तरीय रीप स्टाफ, सीएलएफ टीम, एवं सहायक प्रबंधकों ने अपनी-अपनी प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिससे जमीनी स्तर पर चल रहे कार्यों की वास्तविक स्थिति का आकलन हो सका।

इन सभी हितधारकों ने भविष्य की योजनाओं और आने वाली चुनौतियों पर विस्तृत चर्चा की, जिसमें समाधान खोजने और रणनीति बनाने पर बल दिया गया। बैठक के अंत में, सीडीओ डॉ. मिश्र ने सभी अधिकारियों को बेहतर तालमेल और सामूहिक प्रयासों के साथ कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि विभिन्न विभागों के बीच समन्वय के बिना किसी भी बड़ी परियोजना को सफल बनाना संभव नहीं है। उनका यह निर्देश ग्रामीण विकास के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता को रेखांकित करता है, जहाँ सभी संबंधित एजेंसियां एक साथ मिलकर काम करें ताकि ग्रामोत्थान परियोजना के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता, समृद्धि और स्थायी विकास के लक्ष्यों को समय पर हासिल किया जा सके। यह सहयोग ही हरिद्वार के ग्रामीण परिदृश्य में वास्तविक परिवर्तन ला सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

भाई लिखना नहीं आता है  क्या  ... खबर कोपी मत करो