3 साल से फरार ठग गिरफ्तार, नाम बदलकर कर रहा था फर्जीवाड़ा! हरिद्वार पुलिस का बड़ा खुलासा
हरिद्वार: न्याय के शिकंजे से तीन साल तक दूर रहा एक शातिर धोखाधड़ी का आरोपी आखिरकार रानीपुर पुलिस की गिरफ्त में आ ही गया। इस आरोपी ने नाम बदलकर न केवल फर्जी आधार कार्ड बनवाया था, बल्कि जमीन दिलाने के बहाने लाखों रुपये की ठगी को भी अंजाम दिया था। पुलिस की यह सफलता न केवल न्याय की लंबी प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, बल्कि उन अपराधियों के लिए भी एक कड़ा संदेश है जो सोचते हैं कि वे कानून को चकमा दे सकते हैं। धोखाधड़ी के इस मामले में अब तक ₹42.16 लाख की ठगी का खुलासा हो चुका है और इस गिरफ्तारी से ठगी के इस बड़े नेटवर्क के अन्य राज भी खुलने की उम्मीद है।
धोखाधड़ी का जाल: कैसे दिया गया लाखों की ठगी को अंजाम?
यह मामला वर्ष 2022 का है, जब मोहित चौहान नामक एक व्यक्ति ने रानीपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। उनकी शिकायत के अनुसार, आरोपी प्रवेश साबरी और उसके कुछ साथियों ने मिलकर एक सुनियोजित धोखाधड़ी को अंजाम दिया। इन शातिर ठगों ने कूटरचित यानी जाली दस्तावेज तैयार किए और मोहित चौहान को जमीन दिलाने का झांसा दिया। जमीन के नाम पर विश्वास में लेकर, उन्होंने वादी से कुल ₹42.16 लाख की बड़ी रकम ऐंठ ली। यह रकम जमीन की खरीद-फरोख्त के नाम पर ली गई थी, लेकिन न तो जमीन मिली और न ही पैसा वापस आया।
ऐसे भूमि संबंधी धोखाधड़ी के मामले अक्सर जटिल होते हैं, क्योंकि इनमें जाली दस्तावेजों का प्रयोग किया जाता है और कई बार बेनामी संपत्तियों का भी इस्तेमाल किया जाता है। मुख्य आरोपी प्रवेश साबरी को पुलिस ने सितंबर 2023 में ही गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन उसके अन्य साथी पुलिस की गिरफ्त से बाहर चल रहे थे। यह दिखाता है कि यह सिर्फ एक व्यक्ति का काम नहीं था, बल्कि एक संगठित गिरोह था जो लोगों को ठगने के लिए सक्रिय था। ठगों का मुख्य निशाना ऐसे लोग होते हैं जो जमीन में निवेश करना चाहते हैं या जो नियमों की बारीकियों से अनभिज्ञ होते हैं।
तीन साल की लंबी तलाश: ऐसे आया शातिर ठग पुलिस की गिरफ्त में
प्रवेश साबरी की गिरफ्तारी के बाद से ही रानीपुर पुलिस इस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में जुटी हुई थी। लगभग तीन साल तक पुलिस को इस मामले में सफलता नहीं मिल पाई थी, क्योंकि आरोपी लगातार अपनी लोकेशन और पहचान बदल रहे थे। यह एक लंबी और चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया थी, जिसमें पुलिस को कई बार निराशा भी हाथ लगी होगी, लेकिन उनके अथक प्रयासों का परिणाम आखिरकार सामने आया।
लगातार सूचनाएं जुटाने, तकनीकी सर्विलांस और मुखबिरों की मदद से पुलिस को आखिरकार आरोपी मुकेश राम पुत्र कृपाल सिंह के बारे में अहम जानकारी मिली। मुकेश राम, जो बिजनौर, उत्तर प्रदेश का निवासी है, इस धोखाधड़ी के मामले में लंबे समय से फरार चल रहा था। पुलिस टीम ने सटीक जानकारी के आधार पर छापेमारी की और उसे हरिद्वार के सेक्टर-2 बीएचईएल क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद जब उससे पूछताछ की गई तो एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ। उसने पुलिस से बचने के लिए अपनी असली पहचान छुपा रखी थी और शांति प्रसाद के नाम से एक फर्जी आधार कार्ड बनवा रखा था। फर्जी पहचान पत्र का इस्तेमाल कर वह पुलिस की आंखों में धूल झोंक रहा था। यह गिरफ्तारी पुलिस के लिए एक बड़ी सफलता है, क्योंकि ऐसे मामलों में जब आरोपी अपनी पहचान बदल लेते हैं, तो उन्हें पकड़ना बेहद मुश्किल हो जाता है।
‘ऑपरेशन क्लीन’ में रानीपुर पुलिस की सफलता: क्यों अहम है यह गिरफ्तारी?
यह गिरफ्तारी रानीपुर पुलिस द्वारा चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन क्लीन’ या अपराधियों के खिलाफ सख्त अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। तीन साल से फरार चल रहे एक आरोपी को पकड़ना यह दर्शाता है कि पुलिस अपराधों की जड़ तक पहुंचने और हर अपराधी को कानून के दायरे में लाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस गिरफ्तारी के कई महत्वपूर्ण आयाम हैं:
- न्याय की जीत: वादी मोहित चौहान के लिए यह गिरफ्तारी न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम है, क्योंकि उन्हें उम्मीद होगी कि अब उन्हें अपनी ठगी हुई रकम वापस मिल सकेगी।
- विश्वास बहाली: ऐसे मामले आम जनता में पुलिस और न्याय व्यवस्था के प्रति विश्वास को मजबूत करते हैं, खासकर जब अपराधी लंबे समय तक फरार रहे हों।
- अन्य खुलासे: मुकेश राम की गिरफ्तारी से इस धोखाधड़ी गिरोह के अन्य सदस्यों, उनके modus operandi (कार्यप्रणाली) और उनके नेटवर्क के बारे में और भी महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आ सकती हैं। फर्जी आधार कार्ड का इस्तेमाल यह भी दर्शाता है कि यह गिरोह कितना संगठित और शातिर था।
- अपराधियों को संदेश: यह गिरफ्तारी अन्य फरार अपराधियों और धोखाधड़ी करने वाले गिरोहों के लिए एक कड़ा संदेश है कि वे कितने भी शातिर हों, कानून के लंबे हाथ से बच नहीं सकते।
इस पूरी कार्रवाई में प्रभारी निरीक्षक शांति कुमार के कुशल नेतृत्व में उपनिरीक्षक संजीव चौहान, कांस्टेबल रमेश रावत और कांस्टेबल विवेक गुसांई की टीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी लगन और धैर्य की वजह से ही यह सफलता मिल पाई।