पीसीपीएनडीटी अधिनियम: जिला सलाहकार समिति की बैठक में 5 नए अल्ट्रासाउंड केंद्रों को मिली मंजूरी, लिंग जांच पर सख्त कार्रवाई के निर्देश

पीसीपीएनडीटी अधिनियम: जिला सलाहकार समिति की बैठक में 5 नए अल्ट्रासाउंड केंद्रों को मिली मंजूरी, लिंग जांच पर सख्त कार्रवाई के निर्देश

गुरुवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आर.के. सिंह की अध्यक्षता में पीसीपीएनडीटी अधिनियम के तहत गठित जिला सलाहकार समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के निर्देशों का पालन करते हुए आयोजित इस बैठक में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार और कन्या भ्रूण हत्या को रोकने की दिशा में कई अहम निर्णय लिए गए। बैठक का मुख्य आकर्षण पांच नए अल्ट्रासाउंड केंद्रों को पंजीकरण की मंजूरी देना रहा, जबकि अवैध लिंग जांच और भ्रामक ऑनलाइन विज्ञापनों के खिलाफ सख्त रुख अपनाने के भी निर्देश जारी किए गए।

बैठक के मुख्य निर्णय और नए केंद्रों का पंजीकरण

बैठक के दौरान समिति के समक्ष कुल सात नए अल्ट्रासाउंड केंद्रों की पंजीकरण पत्रावलियाँ विचार के लिए प्रस्तुत की गईं। समिति ने सभी आवेदनों का गहन मूल्यांकन किया, जिसमें केंद्रों के बुनियादी ढांचे, उपकरणों की उपलब्धता और स्टाफ की योग्यता जैसे मानकों की जांच की गई। पूरी जांच-पड़ताल के बाद, समिति ने पांच केंद्रों को पंजीकरण के लिए उपयुक्त पाया और उन्हें अपनी सेवाएं शुरू करने की स्वीकृति प्रदान कर दी। इन नए केंद्रों के खुलने से जिले में नैदानिक सेवाओं (diagnostic services) की पहुंच बढ़ेगी, जिससे आम जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकेंगी।

हालांकि, मानकों पर खरा न उतरने के कारण दो केंद्रों की पत्रावलियों को निरस्त कर दिया गया। यह निर्णय इस बात का स्पष्ट संकेत है कि प्रशासन स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और नियमों के अनुपालन को लेकर कोई समझौता करने के मूड में नहीं है। इसके अतिरिक्त, बैठक में पहले से संचालित पांच पुराने केंद्रों के पंजीकरण का सफलतापूर्वक नवीनीकरण भी किया गया, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि वे अपनी सेवाएं बिना किसी रुकावट के जारी रख सकेंगे। यह पूरी प्रक्रिया पीसीपीएनडीटी अधिनियम के तहत पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

क्या है पीसीपीएनडीटी अधिनियम और इसका महत्व?

गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम, 1994, जिसे आम भाषा में पीसीपीएनडीटी एक्ट कहा जाता है, भारत में कन्या भ्रूण हत्या को रोकने और गिरते लिंगानुपात को सुधारने के लिए बनाया गया một ऐतिहासिक कानून है। इस कानून का मुख्य उद्देश्य जन्म से पहले लिंग का पता लगाने वाली तकनीकों के दुरुपयोग को रोकना है। यह अधिनियम किसी भी व्यक्ति या केंद्र द्वारा गर्भावस्था के दौरान भ्रूण के लिंग की जांच करने या बताने को एक गंभीर आपराधिक अपराध मानता है।

यह कानून अल्ट्रासाउंड मशीनों या अन्य किसी भी तकनीक का उपयोग करने वाले सभी डायग्नोस्टिक केंद्रों, क्लीनिकों और अस्पतालों को विनियमित (regulate) करता है। इसके तहत, हर केंद्र को पंजीकृत होना अनिवार्य है और उन्हें अपनी सभी जांचों का एक विस्तृत रिकॉर्ड रखना होता है, जिसे फॉर्म-एफ (Form-F) कहा जाता है। इस रिकॉर्ड में गर्भवती महिला की पूरी जानकारी दर्ज होती है। इस कानून का सख्ती से पालन सुनिश्चित करना जिला सलाहकार समिति की प्रमुख जिम्मेदारियों में से एक है, ताकि तकनीक का उपयोग जीवन बचाने के लिए हो, न कि बेटियों को जन्म लेने से रोकने के लिए।

ऑनलाइन भ्रामक विज्ञापनों और अवैध उपकरणों पर नकेल कसने की तैयारी

बैठक में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अशोक तोमर ने आधुनिक समय की एक गंभीर चुनौती पर सबका ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि भ्रूण लिंग जांच से संबंधित किसी भी प्रकार के भ्रामक विज्ञापन पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं। यह प्रतिबंध केवल प्रिंट मीडिया तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यूट्यूब वीडियो, वेबसाइट्स, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और अन्य ऑनलाइन माध्यमों पर भी समान रूप से लागू होता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कुछ ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर लिंग जांच से जुड़े उपकरणों की बिक्री की खबरें भी सामने आई हैं, जो कि एक गंभीर अपराध है।

इस तरह की अवैध गतिविधियों में शामिल ��ाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति, समूह या प्लेटफॉर्म के खिलाफ पीसीपीएनडीटी अधिनियम के तहत कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। डॉ. तोमर ने आम जनता से भी इस लड़ाई में सहयोग करने की अपील की। उन्होंने कहा कि यदि किसी को भी ऐसे किसी विज्ञापन, वीडियो या वेबसाइट की जानकारी मिलती है, तो वे तुरंत इसकी शिकायत मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) कार्यालय में दर्ज कराएं। शिकायतकर्ता की पहचान गोपनीय रखी जाएगी और सूचना पर तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

औचक निरीक्षण और अनुपालन सुनिश्चित करने के सख्त निर्देश

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आर.के. सिंह ने बैठक में उपस्थित अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कड़े निर्देश दिए कि जिले के सभी अल्ट्रासाउंड केंद्र कानून का अक्षरशः पालन करें। उन्होंने निर्देश दिया कि निरीक्षण के दौरान केंद्रों में मौजूद उपकरणों का उनके पंजीकरण रिकॉर्ड से अनिवार्य रूप से मिलान किया जाए। इसका उद्देश्य यह पता लगाना है कि कहीं कोई अवैध या गैर-पंजीकृत मशीन का उपयोग तो नहीं किया जा रहा है।

इसके साथ ही, सीएमओ ने सभी अल्ट्रासाउंड केंद्रों का नियमित रूप से औचक निरीक्षण (surprise inspection) करने के आदेश दिए। उन्होंने कहा कि औचक निरीक्षण से केंद्रों में अनुशासन बना रहता है और वे हर समय नियमों का पालन करने के लिए सतर्क रहते हैं। यदि निरीक्षण के दौरान किसी भी केंद्र में कोई अनियमितता, जैसे रिकॉर्ड में गड़बड़ी या फॉर्म-एफ का अधूरा भरा जाना, पाई जाती है, तो उसके खिलाफ बिना किसी देरी के सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिसमें केंद्र का पंजीकरण रद्द करने से लेकर कानूनी मुकदमा तक शामिल हो सकता है।

 

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