अब बच्चे बनेंगे ट्रैफिक के ‘गुरु’, पुलिस ने स्कूल में लगाई पाठशाला
खाकी वर्दी, हाथ में डंडा और अपराधियों का पीछा… पुलिस की यह छवि तो सबने देखी है। लेकिन शनिवार को रुड़की में पुलिस का एक नया और दिल जीतने वाला रूप देखने को मिला। यहां पुलिस ‘टीचर’ बनी और छात्र थे भविष्य के कर्णधार। मौका था एक विशेष यातायात जागरूकता कार्यक्रम का, जहां वासुदेव लाल मैथिल सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज का कैंपस एक ऐसी पाठशाला में तब्दील हो गया, जहां जिंदगी बचाने का पाठ पढ़ाया जा रहा था। इस पहल का मकसद साफ था – आज के बच्चों को इतना जागरूक बना दो कि कल की सड़कें सुरक्षित हो जाएं।
हेलमेट से लेकर सीट बेल्ट तक, हर नियम की अहमियत समझाई
करीब 250 छात्र-छात्राओं की मौजूदगी में, यातायात पुलिस के उपनिरीक्षक सुनील सती ने माइक संभाला और ट्रैफिक नियमों की ABC सिखानी शुरू की। उन्होंने बताया कि हेलमेट सिर्फ चालान से बचाने वाला कवच नहीं, बल्कि सिर को मिलने वाली ‘जिंदगी की गारंटी’ है। उन्होंने छात्रों को समझाया कि गाड़ी चलाते समय मोबाइल फोन उठाना मतलब सीधे-सीधे यमराज को दावत देना है। नशे में ड्राइविंग और तेज रफ्तार के खतरों पर बात करते हुए उन्होंने छात्रों की आंखों में देखकर कहा, “तुम्हारी जिंदगी तुम्हारे परिवार के लिए अनमोल है, इसे सड़क पर चंद सेकंड के रोमांच के लिए दांव पर मत लगाओ।”

‘गुड सेमैरिटन’ बनो, ट्रैफिक फोर्स से जुड़ो
पुलिस ने छात्रों को सिर्फ नियम नहीं रटाए, बल्कि उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक बनने का मंत्र भी दिया। उन्हें ‘गुड सेमैरिटन’ योजना के बारे में बताया गया, कि अगर कोई सड़क पर घायल पड़ा है, तो वीडियो बनाने की जगह उसकी मदद करो, कानून तुम्हारी रक्षा करेगा। पुलिस ने छात्रों को सिर्फ ज्ञान नहीं दिया, बल्कि उन्हें समाज में बदलाव का ‘एजेंट’ बनने का न्योता भी दिया। उन्हें भविष्य में ‘जूनियर ट्रैफिक फोर्स’ से जुड़ने के लिए प्रेरित किया गया, ताकि वे खुद अपने परिवार और समाज में यातायात नियमों के दूत बन सकें। यह सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक निवेश था – सुरक्षित भविष्य के लिए।

