युवा आपदा मित्र प्रशिक्षण संपन्न: हरिद्वार के युवा अब आपदा से निपटने के लिए तैयार, जानें क्या है यह योजना

युवा आपदा मित्र प्रशिक्षण संपन्न: हरिद्वार के युवा अब आपदा से निपटने के लिए तैयार, जानें क्या है यह योजना

हरिद्वार में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) द्वारा संचालित “युवा आपदा मित्र योजना” के तहत आयोजित सात दिवसीय गहन प्रशिक्षण कार्यक्रम गुरुवार को सफलतापूर्वक संपन्न हो गया। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य युवाओं को आपदा के समय एक प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता (First Responder) के रूप में तैयार करना था। इस प्रशिक्षण के बाद, हरिद्वार के युवा अब भूकंप, बाढ़, भूस्खलन और आगजनी जैसी आपातकालीन स्थितियों में न केवल अपनी, बल्कि अपने समुदाय की भी रक्षा करने में सक्षम होंगे, जो “आपदा सुरक्षित उत्तराखंड” की संकल्पना को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

प्रशिक्षण का विस्तृत पाठ्यक्रम: सिद्धांत और व्यवहार का संगम

इस सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम को इस तरह से डिजाइन किया गया था कि युवा आपदा के हर पहलू को समझ सकें। प्रशिक्षण की शुरुआत आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की सैद्धांतिक जानकारी से हुई, ताकि स्वयंसेवकों को उनके कानूनी अधिकारों और जिम्मेदारियों का ज्ञान हो सके। इसके बाद, विशेषज्ञों ने उत्तराखंड की भौगोलिक संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए भूकंप, भूस्खलन, और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारणों, प्रभावों और उनसे बचाव के तरीकों पर विस्तृत सत्र लिए। प्रतिभागियों को यह भी सिखाया गया कि आपदा से पहले, आपदा के दौरान और आपदा के बाद किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए।

सिद्धांत के साथ-साथ व्यवहारिक ज्ञान पर भी विशेष जोर दिया गया। युवाओं को रासायनिक आपदाओं (Chemical Disasters) से निपटने के शुरुआती कदमों के बारे में बताया गया। प्रशिक्षण का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा प्राथमिक उपचार (First Aid) और अग्नि सुरक्षा (Fire Safety) पर केंद्रित था। प्रशिक्षकों ने लाइव डेमो के माध्यम से सिखाया कि घायल व्यक्ति को तत्काल चिकित्सा सहायता कैसे दी जाए, CPR कैसे दिया जाता है, और आग लगने की स्थिति में आग बुझाने वाले उपकरणों का सही तरीके से उपयोग कैसे किया जाता है। यह ज्ञान किसी भी आपात स्थिति में जीवन बचाने में निर्णायक साबित हो सकता है।

विशेषज्ञों की देखरेख में मिला गहन व्यावहारिक प्रशिक्षण

इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि इसमें प्रशिक्षण देने के लिए आपदा प्रबंधन के क्षेत्र की सर्वश्रेष्ठ एजेंसियों को शामिल किया गया था। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) और राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) की अनुभवी टीमों ने युवाओं को बचाव और राहत कार्यों (Rescue and Relief Operations) की बारीकियां सिखाईं। उन्होंने मॉक ड्रिल और सिमुलेशन एक्सरसाइज के माध्यम से दिखाया कि मलबे में फंसे व्यक्ति को कैसे सुरक्षित निकाला जाता है या बाढ़ में फंसे लोगों तक कैसे पहुंचा जाता है।

इसके अतिरिक्त, अग्निशमन विभाग (Fire Department) के विशेषज्ञों ने आग पर काबू पाने की तकनीकों का व्यावहारिक प्रदर्शन किया, जबकि रेड क्रॉस सोसाइटी की टीम ने प्राथमिक उपचार और घायल प्रबंधन पर गहन सत्र आयोजित किए। इन सभी एजेंसियों के समन्वय ने यह सुनिश्चित किया कि “आपदा मित्रों” को केवल किताबी ज्ञान ही नहीं, बल्कि धरातल पर काम करने का वास्तविक अनुभव भी मिले। इस व्यावहारिक प्रशिक्षण ने युवाओं के आत्मविश्वास को कई गुना बढ़ा दिया है, और अब वे किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से बेहतर तैयार हैं।

योजना का उद्देश्य: ‘आपदा सुरक्षित उत्तराखंड’ की नींव को मजबूत करना

उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जो विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं के प्रति hoअधिक संवेदनशील है। ऐसे में, सरकारी एजेंसियों के साथ-साथ समुदाय की भागीदारी भी अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। “युवा आपदा मित्र योजना” का मुख्य उद्देश्य इसी खाई को पाटना है। इस योजना के तहत, सरकार का लक्ष्य हर गांव और कस्बे में ऐसे प्रशिक्षित युवा स्वयंसेवक तैयार करना है, जो किसी भी आपदा की स्थिति में सबसे पहले सहायता के लिए पहुंच सकें।

ये “आपदा मित्र” पेशेवर बचाव दलों के आने तक स्थिति को संभालने, लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने, मामूली रूप से घायलों को प्राथमिक उपचार देने और राहत कार्यों में स्थानीय प्रशासन की मदद करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। यह योजना न केवल युवाओं को सशक्त बना रही है, बल्कि समाज में सेवा और जिम्मेदारी की भावना को भी बढ़ावा दे रही है। इसका अंतिम लक्ष्य “आपदा सजग एवं आपदा सुरक्षित उत्तराखंड” के विजन को साकार करना है, जहां हर नागरिक आपदा प्रबंधन में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार हो।

समापन समारोह और प्रमाण पत्र वितरण

सात दिनों के कठोर प्रशिक्षण के बाद, गुरुवार को गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में एक समापन समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथियों के रूप में कर्नल गौरव प्रसाद (NCC), आपदा प्रबंधन अधिकारी मीरा रावत, तथा मास्टर ट्रेनर मनोज कंडियाल उपस्थित रहे। उन्होंने अपने संबोधन में युवाओं के उत्साह और सीखने की लगन की सराहना की और उन्हें भविष्य में समाज सेवा के लिए प्रेरित किया।

अतिथियों ने इस बात पर जोर दिया कि यह प्रशिक्षण का अंत नहीं, बल्कि एक नई जिम्मेदारी की शुरुआत है। कार्यक्रम के अंत में, सभी प्रतिभागियों को उनके सफल प्रशिक्षण के लिए प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। ये प्रमाण पत्र उनके कौशल और समर्पण का प्रतीक हैं। इस विधिवत समापन के साथ, हरिद्वार को आपदा से लड़ने के लिए युवा योद्धाओं की एक नई टीम मिल गई है, जो किसी भी संकट के समय ढाल बनकर खड़ी होगी।

 

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