निजी स्कूलों की मनमानी: अभिभावकों की जेब पर डाका, प्रशासन कब जागेगा?
हरिद्वार: निजी स्कूलों की मनमानी से परेशान अभिभावक अब खुलकर अपनी आवाज उठा रहे हैं। उनका आरोप है कि स्कूल अपनी मनमर्जी से किताबें, ड्रेस और जूते जैसी चीजें तय दुकानों से खरीदने के लिए मजबूर करते हैं, जिससे उनकी जेब पर भारी बोझ पड़ता है।
अभिभावकों का दर्द:
- “10 रुपये की चीज के लिए 100 रुपये देने पड़ते हैं।”
- “बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाना मजबूरी है, लेकिन खर्चों से कमर टूट जाती है।”
- “प्रशासन निजी स्कूलों की मनमानी पर आंखें मूंदे बैठा है।”
निजी स्कूलों का रवैया:
अभिभावकों का कहना है कि निजी स्कूल उनकी मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं। वे अपनी मनमानी से पैसे वसूल रहे हैं और प्रशासन इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
सवाल जो जवाब मांगते हैं:
- क्या प्रशासन निजी स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाएगा?
- क्या अभिभावकों को इस शोषण से मुक्ति मिलेगी?
- कब जागेगा प्रशासन?
अभिभावकों का कहना है कि वे अपनी आवाज उठाते रहेंगे और प्रशासन से न्याय की मांग करते रहेंगे। वे चाहते हैं कि निजी स्कूलों की मनमानी पर जल्द से जल्द कार्रवाई हो और उन्हें राहत मिले।