उत्तराखंड में मानसून का कहर, कई सड़कें बंद, 9400 तीर्थयात्री फंसे, चारधाम यात्रा पर ब्रेक उत्तराखंड में मानसून आफत बनकर बरस रहा है

उत्तराखंड में मानसून का कहर, कई सड़कें बंद, 9400 तीर्थयात्री फंसे, चारधाम यात्रा पर ब्रेक उत्तराखंड में मानसून आफत बनकर बरस रहा है

हिमाचल प्रदेश की तरह ही उत्तराखंड ही मानसूनी कहर झेल रहा है। जगह-जगह भूस्खलन के कारण यात्रा बाधित है तो वही पहाड़ों पर पत्थरों की बारिश भी लोगों को डरा रही है। हरिद्वार के लक्सर में बाढ़ जैसे हालात सामने आ रहे हैं।उत्तराखंड में मानसून आने के बाद से ही अपना कहर बरपा रहा है। रोजाना प्रदेश के किसी न किसी हिस्से से नुकसान के समाचार सामने आ रहे हैं। एक तरफ हिमाचल प्रदेश में हालात बदतर हो गए हैं, वहीं दूसरी तरफ उत्तराखंड के हालात भी इससे जुदा नहीं है।

उत्तराखंड में खराब मौसम के चलते एहतियातन चार धाम यात्रा रोक दी गई है। प्रदेश में जगह-जगह जलभराव, बाढ़ जैसे हालात और पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन के कारण सड़कें बंद होने और बोल्डरों की चपेट में आकर कई लोगों की जान जाने जैसे हादसे लगभग रोजाना ही सामने आ रहे हैं। उत्तराखंड में पिछले 5 दिनों से जारी मूसलाधार बारिश में नदियों का जलस्तर बढ़ा दिया है। जानकारों के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ और मानसूनी हवाओं के कारण उत्तर भारत में तबाही का मंजर दिखाई दे रहा है।

उत्तराखंड में बादल फटने, ग्लेशियर टूटने और भूस्खलन के कारण हालात गंभीर हैं। वर्तमान हालात को देखते हुए फिलहाल चार धाम यात्रा पर ब्रेक लगा हुआ है। केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के मार्ग कई स्थानों पर भूस्खलन होने के कारण बंद हो गए हैं। नदियां उफान पर हैं और 4 स्टेट हाइवे व 10 लिंक रोड मलबा आने के कारण बंद पड़े हुए हैं।चारधाम यात्रा मार्ग बाधित होने के कारण जगह-जगह लगभग 9400 तीर्थयात्री फंसे हुए हैं। बारिश और भूस्खलन ने स्थानीय लोगों के साथ-साथ यात्रियों की परेशानियां भी बढ़ा दी है। जानकारी के अनुसार राज्य में 249 मार्ग अवरुद्ध हैं।

चारधाम यात्रा मार्ग पर फंसे हुए तीर्थयात्रियों में कांवड़ यात्री भी शामिल हैं। जिन्हें प्रशासन ने सुरक्षित स्थानों पर ठहराया है। मार्गों पर मलबा आने के कारण प्रदेशभर के लगभग 503 गांव जिला मुख्यालय से कट गए हैं। बड़ी संख्या में पेयजल लाइनें और विद्युत पोल भी क्षतिग्रस्त हुए हैं वही दूरसंचार सेवा पर भी बरसात का कहर टूट पड़ा है । उत्तरकाशी में गंगोत्री और यमुनोत्री राजमार्ग और रुद्रप्रयाग और चमोली में बद्रीनाथ राजमार्ग कई स्थानों पर भूस्खलन से बाधित है।उत्तरकाशी के खीरगंगा में बाइक से आए लगभग 400 कावड़ यात्री, गंगनानी में 2000 से अधिक यात्री, चमोली में बद्रीनाथ राजमार्ग पर करीब 3000 यात्री फंसे हुए हैं।

बद्रीनाथ धाम जा रहे 4000 तीर्थयात्री सुरक्षा की दृष्टि से विभिन्न पड़ावों पर रोके गए हैं। उत्तरकाशी जिले में भारी बारिश के कारण कुछ मकान खतरे की जद में आने की वजह से प्रशासन ने 9 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया है।गंगोत्री मार्ग अवरुद्ध होने के कारण इस बार कावड़ यात्री गंगोत्री नहीं जा पा रहे हैं। जिस वजह से वह उत्तरकाशी के मणिकर्णिका घाट, जड़ भरत घाट, गंगोली घाट से ही जल भरकर ले जा रहे हैं । हरिद्वार जनपद के लक्सर और खानपुर में सोनाली नदी का तटबंध टूटने के कारण बाढ़ आ गई है और लगभग 24 गांव जलमग्न होने की कगार पर है।भारी बारिश के चलते पर्वतीय क्षेत्र में जनजीवन काफी अस्त-व्यस्त हो गया है।

कई स्थानों पर तो आलम यह है कि भूस्खलन हो रहा है फिर रुक रहा है लेकिन पत्थरों की बरसात निरंतर जारी है। जिसकी वजह से प्रशासन ने मार्गो पर आवाजाही रोकी हुई है। मार्ग पर रुके यात्रियों के लिए भी खासी मुसीबत है क्योंकि पहाड़ कब दरक जाए इसका कोई भरोसा नहीं और मार्गों में यात्री रुके हैं लेकिन वे कितने सुरक्षित हैं इसका अंदाजा किसी को भी नहीं। यही वजह है कि पर्वतीय क्षेत्रों में सरकार और प्रशासन लगातार यात्रियों से अपील कर रही है कि फिलहाल पर्वतीय क्षेत्रों की यात्रा को टालें। उत्तराखंड में भारी बारिश की वजह से खराब हालत को देखते हुए केंद्र सरकार ने 413 करोड़ रुपए की सहायता दी है।

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