गर्भवती महिला के साथ किया दुष्कर्म पीड़िता के लिए दून मेडिकल कॉलेज भी हुआ असंवेदनशील
शहर के अस्पतालों का यह असंवेदनशील रवैया तब है, जब पॉक्सो और दुष्कर्म पीड़िता के लिए कानूनी प्रावधान है कि उन्हें अस्पताल में फौरन और अलग से चिकित्सा दी जाए, ताकि वह सहज और सुरक्षित महसूस करें।
आईएसबीटी परिसर में सामूहिक दुष्कर्म की शिकार हुई 15 साल की किशोरी की शारीरिक और मानसिक हालत ठीक नहीं है, इसके बावजूद उसको न सिर्फ अस्पताल-दर-अस्पताल भटकना पड़ रहा है, बल्कि उसे भीड़ के बीच कतार में भी खड़ा किया जा रहा है।
शहर के अस्पतालों का यह असंवेदनशील रवैया तब है, जब पॉक्सो और दुष्कर्म पीड़िता के लिए कानूनी प्रावधान है कि उन्हें अस्पताल में फौरन और अलग से चिकित्सा दी जाए, ताकि वह सहज और सुरक्षित महसूस करें। आईएसबीटी कांड की पीड़िता के साथ प्रावधान के उलट हो रहा है। दो दिन पहले तक पुलिस उसे लेकर जिला अस्पताल के चक्कर काट रही थी, लेकिन वहां पर्याप्त चिकित्सा इंतजामों की कमी के चलते दून मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया गया। अब दून मेडिकल कॉलेज भी किशोरी के प्रति असंवेदनशील नजर आ रहा है।
पुलिस शनिवार को उसे लेकर दून मेडिकल कॉलेज पहुंची तो पीड़िता को लाइन में खड़ा कर दिया गया। इसकी शिकायत राज्य बाल आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना तक पहुंची तो उन्होंने तुरंत मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल से इसको लेकर हैरानी जताई और कानूनी प्रावधान का हवाला दिया। तब जाकर किशोरी को लाइन से छुटकारा मिला।